अगर तेरा सजदा करूं तो सर कलम मेरा कलम करना,
अगर दामन तेरा थामूं तो हाथ उखाड लेना।
मैं भी सरपस्त हूं अपनी फितरत का
गर दुआ तुझसे मांगू तो मौत बख्श देना...
मुफलिसी ए इश्क में
मैंने इमान को भुला दिया,
मैं तो निकला था इबादत के लिए,
खुदा ने ही मुझे भगा दिया...
जमाना रूठ जाए
तो कोई गिला नहीं,
जब खुदा ही रूठ जाए
तो इबादत किसके लिए...
sar faroshi barkraar rakhna dost
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