Sunday 26 June 2011

कैसे करूं इबादत




अगर तेरा सजदा करूं तो सर कलम मेरा कलम करना,
अगर दामन तेरा थामूं तो हाथ उखाड लेना।
मैं भी सरपस्त हूं अपनी फितरत का 

गर दुआ तुझसे मांगू तो मौत बख्श देना...

मुफलिसी ए इश्क में
मैंने इमान को भुला ​दिया,
मैं तो निकला था इबादत के लिए,
खुदा ने ही मुझे भगा दिया...

जमाना रूठ जाए
तो कोई गिला नहीं,
जब खुदा ही रूठ जाए
तो इबादत किसके लिए...



Saturday 18 June 2011

Bindas view: पापा आप कहां हो...

Bindas view: father's day spcl पापा आप कहां हो...

Bindas view: पापा आप कहां हो...

Bindas view: पापा आप कहां हो...: "हमेशा मुझे फुटबॉल से मना करने वाले मेरे पापा कईं दर्शकों के साथ छिप कर मेरा मैच देखा करते थे। शायद उन्हीं की दुआएं रही की मैं नेशनल चैम्पीय..."

पापा आप कहां हो...


हमेशा मुझे फुटबॉल से मना करने वाले मेरे पापा कईं दर्शकों के साथ छिप कर मेरा मैच देखा करते थे। शायद उन्हीं की दुआएं रही की मैं नेशनल चैम्पीयन​शिप में भा​गीदारी कर पाया। हालांकि, उन्होंने मुझे कभी मैदान में जाने की इजाजत नहीं दी, लेकिन जब मैं सुबह—सुबह किसी कारण से प्रेक्टिस के​ लिए मैदान पर नहीं जा पाता था, तो उन्हें मां से यह कहते भी सुना था कि आज सचिन ग्राउंड में क्यों नहीं गया है? कहीं उसकी तबीयत तो खराब नहीं है? मैं जब भी स्कूल जाता तो मां से बिना बताए मुझे चोरी से एक—दो रुपए देना आज भी याद आता है। उन सिक्कों में कोई खास पुंजी नहीं थी, लेकिन उस वक्त मैं खुद को किसी करोडपति से कम नहीं आंकता था। पापा द्वारा खुद के बचपन की यादें बताना, मुझे किसी गलती पर जोर से चिल्लाना, उनके साथ मजाक मस्ती करना और ऐसी कईं यादों में न जाने क्या बात है कि उन्हें एक बार वापस लाने के लिए कुछ भी लुटाने को दिल चाहता है। 
पापा अपने बच्चे का सलाम कबूल करना...
 अगर आपके भी अपने पापा के साथ कुछ खास पल हैं, तो आप मुझसे शेयर कर सकते हैं।

Bindas view: पापा आप कहां हो...

Monday 13 June 2011

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यह मेरी पहली पोस्ट मेरे उस दोस्त को सलाम है,
जो आज इस दुनिया में नहीं है... मैं यह चाहता हूं कि मेरे दोस्त इसका शीर्षक दें।