यह मेरी पहली पोस्ट मेरे उस दोस्त को सलाम है,
जो आज इस दुनिया में नहीं है... मैं यह चाहता हूं कि मेरे दोस्त इसका शीर्षक दें।
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जीतना तो मेरा शगल न था,
लेकिन जीताने का वादा भी उसका था।
साथ निभाने की ज़िद भी उसकी थी,
हौंसला तोडने का इरादा भी उसका था।
वफा उसने अपनी शर्तों पर की,
बेवफाई का इल्जाम भी उसका था।
सारे रिश्ते नाते भी उसके थे,
सारे कसमे वादे भी उसके थे।
सब कुछ तो उसका था,
पर ए खुदा, क्या तू भी उसका था?
जीतना तो मेरा शगल न था,
लेकिन जीताने का वादा भी उसका था।
साथ निभाने की ज़िद भी उसकी थी,
हौंसला तोडने का इरादा भी उसका था।
वफा उसने अपनी शर्तों पर की,
बेवफाई का इल्जाम भी उसका था।
सारे रिश्ते नाते भी उसके थे,
सारे कसमे वादे भी उसके थे।
सब कुछ तो उसका था,
पर ए खुदा, क्या तू भी उसका था?
"EK SAWAAL" kaisa rhega????? dada
ReplyDeleteसब उसका था!
ReplyDelete"तेरी दोस्ती मेरा प्यार"
ReplyDeleteसचिन भाई... ब्लोगिंग जगत में दिल से इस्तकबाल है आपका.
"राम"
Ek Aur................
ReplyDeleteNice line frnd
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